India's New Laws BNS, BNSS, BSA: Shocking Implications Revealed!

Shoab Saifi
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नए युग की शुरुआत: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम  1 जुलाई 2024 से लागू  


भारत अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस ऐतिहासिक अवसर पर, भारतीय न्यायिक प्रणाली में भी क्रांतिकारी बदलाव लाए जा रहे हैं। भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) ये तीनों नए कानून 1 जुलाई 2024 से भारत में लागू ( Implement ) होने जा रहे हैं। भारतीय ग्रह मंत्रालय ( MHA ) की वेबसाइट पर शनिवार को इसके संबंध में एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है । भारतीय गजट पत्र में यह सूचना शनिवार को जारी कर दी गई है। भारतीय न्याय संहिता के सभी उपबंध , सिवाय धारा 106 की उपधारा 2 के , 1 जुलाई 2024 से भारत में लागू होने जा रहे हैं। धारा –106(2) को ट्रक ड्राइवर्स की हड़ताल के कारण अभी लागू नहीं किया जा रहा है।


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आइए इस ब्लॉग के माध्यम से इन तीनों कानूनों के मुख्य पहलुओं, उनके उद्देश्यों और उनके संभावित प्रभावों पर प्रकाश डालते है :–


1. भारतीय न्याय संहिता (BNS) :-

भारतीय न्याय संहिता ( BNS ) 2023 , IPC ( Indian Penal Code ) का स्थान लेगा। इस अधिनियम में अपराधों की परिभाषा और दंड में बदलाव किया गया है। यह न्यायिक प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाएगा। इसके द्वारा न्याय प्राप्त करने में आसानी होगी। तथा इसमें समय की बचत को भी ध्यान में रखा गया है। इसके अंतर्गत किसी भी क्रिमिनल केस को 3 वर्ष के अंदर पूरा करना होगा। इसमें न्यायधीशों को केस का जल्द से जल्द निर्णय देना होगा। यह परनाली न्याय प्रशासन में बहुत कारगर साबित होगी। यह त्वरित न्याय हासिल करने में मदद करेगी।

इसमें पुलिस प्रशासन तथा न्यायालय आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करेगा। भारतीय न्याय संहिता ( BNS ) के सभी उपबंध , सिवाय धारा 106 की उपधारा 2 के , 1 जुलाई 2024 से भारत में लागू होंगे। उक्त धारा –106(2) Hit and Run केस ( जोकि IPC का सेक्शन 304(A) Death By Negligence से संबंधित है ) को ट्रक ड्राइवर्स की हड़ताल के कारण अभी लागू नहीं किया जा रहा है।



2. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) :–

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ( BNSS ) 2023 , CrPC ( Criminal Procedure Code ) का स्थान लेगा। इस अधिनियम में पुलिस और न्यायिक अधिकारियों के अधिकारों ( Rights )और कर्तव्यों ( Duties ) को परिभाषित किया गया है। इसमें अनुसंधान ( Investigation ), अभियोजन ( Prosecution ) और बचाव ( Defence) की प्रक्रिया को बेहतर बनाया गया है। यह पीड़ितों ( Plaintiff ) के अधिकारों को मजबूत करेगा।


3. भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) :–

भारतीय साक्ष्य अधिनियम ( BSA ), Evidence Act का स्थान लेगा। यह साक्ष्य की स्वीकार्यता और प्रासंगिकता तथा मानदंडों को निर्धारित करेगा। यह नैतिक और वैज्ञानिक सिद्धांतो पर आधारित होगा। यह न्यायिक प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता को बढ़ावा देगा।


इन तीनों कानूनों के लागू होने से भारतीय न्यायिक प्रणाली में कई महत्वपूर्ण बदलाव आएंगे। इन बदलावों के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं :–


1. न्यायिक प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाना :–

इन तीनों कानूनों के लागू होने से भारतीय न्यायिक प्रणाली में कई महत्पूर्ण सुधार होंगे। इनके लागू होने से न्यायिक प्रक्रिया सरल हो जायेगी। इस आम आदमी द्वारा भी आसानी से समझा जा सकेगा। वर्तमान प्रणाली बहुत ही कठोर है और इसे आम आदमी द्वारा आसानी से नहीं समझा जा सकता,जिस कारण न्याय मिलने में बहुत समय व्यतीत होता है। वर्तमान समय में अधिवक्ता किसी भी केस को निपटाने में बहुत समय लगा देते है। जिससे आम आदमी कोर्ट कचहरी के चक्कर में काफी अधिक समय तक उलझा रहता है। इस कारण आम आदमी नयायालय आने में हिचकिचाता है।


2. अपराधों पर अंकुश लगाना :–

इन तीनों कानूनों के लागू होने से भारत में अपराधो पर अंकुश लगेगा। इनमें कुछ नए दंड लागू किए जायेंगे तथा कुछ गंभीर किस्म के अपराधो पर कठोर सजा का प्रावधान किया गया है। कुछ अपराधो पर सजा का प्रावधान कम किया गया है तथा कुछ अपराधो पर सजा का प्रावधान बढ़ाया गया है। कुछ नए अपराधो को भी इनमे शामिल किया गया है। इसी प्रकार कुछ नए दंड भी इन कानूनों में शामिल कर दिए गए है।


 3. नागरिकों की सुरक्षा को बढ़ाना :–

इन तीनों कानूनों के लागू होने से भारत में नागरिकों की सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार प्रदान किए गए है, जिससे महिलाओं तथा नाबालिक बच्चो की सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा। इन नए कानूनों में महिलाओं की सुरक्षा पर खास ध्यान दिया गया है , तथा उन्हें कुछ खास अधिकार भी प्रदान किए गए है। इसमें पुरषों पर महिलाओं द्वारा किए जाने वाले झूठे मुकदमों पर भी रोक लगाने के लिए खास कानून बनाए गए है। इस प्रकार नए कानून नागरिकों की सुरक्षा का खास ध्यान रखते है।


4. न्याय में विश्वास को मजबूत करना :–

नए कानूनों को न्याय प्रिय बनाया गया है। इनमें सरल तथा त्वरित न्याय पाने के लिए खास कानून बनाए गए है। नए कानूनों के तहत न्याय कम खर्चीला तथा काम समय में मिलेगा। इससे नागरिकों में न्याय में विश्वास बढ़ेगा और नागरिकों का न्याय में विश्वास मजबूत होगा। वर्तमान समय में न्यायिक प्रक्रिया समय खपाने वाली एवम बहुत खर्चीली साबित होती है , जिस कारण आम आदमी न्यायालय जाने से डरता है। परंतु नए कानूनों में न्यायिक प्रक्रिया को सरल तथा कम खर्चीला बनाया गया है। इस प्रकार नए कानून नागरिकों का न्याय में विश्वास मजबूत करेंगे, और वे न्यायालय आने से डरेंगे नहीं।


इन कानूनों के कुछ संभावित प्रभाव इस प्रकार हैं :–


1. अपराधों की दर ( Crime Rate ) में कमी आ सकती है :–

नए कानूनों के लागू होने से भारत में अपराधो की दर में कमी आने की संभावना जताई जा रही है। गंभीर किस्म के अपराधो पर अंकुश लगाने के लिए नए दंड लागू किए जायेंगे तथा गंभीर किस्म के अपराधो पर कठोर सजा का प्रावधान किया गया है। कुछ छोटे अपराधो पर सजा का प्रावधान कम किया गया है तथा कुछ अपराधो पर सजा का प्रावधान बढ़ाया गया है। कुछ नए अपराधो जैसे :– स्नेचिंग को भी इनमे शामिल किया गया है। इसी प्रकार कुछ नए दंड भी इन कानूनों में शामिल कर दिए गए है जैसे :– सार्वजनिक सेवा।


2. न्यायिक प्रक्रिया में भ्रष्टाचार ( Corruption ) कम हो सकता है :–

नए कानूनों को न्याय प्रिय बनाया गया है। इनमें न्यायिक प्रक्रिया को सरल तथा त्वरित न्याय पाने के लिए बनाया गया है। नए कानूनों के तहत न्याय कम खर्चीला तथा काम समय में मिलेगा। इससे नागरिकों में न्याय में विश्वास बढ़ेगा और न्यायिक क्षेत्र में फैले भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी। वर्तमान समय में न्यायिक प्रक्रिया समय खपाने वाली एवम बहुत खर्चीली साबित होती है , जिस कारण इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार बढ़ गया है और आम आदमी न्यायालय जाने से डरता है। परंतु नए कानूनों में न्यायिक प्रक्रिया को सरल तथा कम खर्चीला बनाया गया है। इस प्रकार नए कानून नागरिकों का न्याय में विश्वास मजबूत करेंगे, तथा भ्रष्टाचार में कमी आएगी।


3. पीड़ितों ( Plaintiff ) को न्याय मिलने की संभावना बढ़ सकती है :–

इन तीनों कानूनों के लागू होने से भारत में अपराधो पर अंकुश लगेगा, तथा पीड़ितों को न्याय मिलने की संभावना बढ़ सकती। इनमें कुछ नए दंड लागू किए जायेंगे तथा कुछ गंभीर किस्म के अपराधो पर कठोर सजा का प्रावधान किया गया है। कुछ अपराधो पर सजा का प्रावधान कम किया गया है तथा कुछ अपराधो पर सजा का प्रावधान बढ़ाया गया है। कुछ नए अपराधो को भी इनमे शामिल किया गया है। इसी प्रकार कुछ नए दंड भी इन कानूनों में शामिल कर दिए गए है, जिससे पीड़ितों को न्याय मिलने की संभावना बढ़ सकती है।


4. मानवाधिकारों ( Human Rights ) का बेहतर संरक्षण हो सकता है :–

इस अधिनियम में पुलिस और न्यायिक अधिकारियों के अधिकारों ( Rights ) और कर्तव्यों ( Duties ) को नए तरीके से परिभाषित किया गया है। इसमें अनुसंधान ( Investigation ), अभियोजन ( Prosecution ) और बचाव ( Defence) की प्रक्रिया को बेहतर बनाया गया है। यह पीड़ितों ( Plaintiff ) के अधिकारों को मजबूत करेगा। इस प्रकार नए कानूनों के लागू होने के बाद मानवाधिकारों का बेहतर संरक्षण हो सकता है


हालांकि, इन कानूनों के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं जो इस प्रकार है :–


1. नए कानूनों को लागू करने में व्यावहारिक कठिनाइयां आ सकती हैं :–

नए कानूनों को लागू करने में बहुत सारी व्यवहारिक कठिनाइयां उत्पन्न हो सकती है। क्योंकि अभी पुलिस विभाग को पूरी तरह से नए कानूनों के अनुसार ट्रेनिंग नही दी गई है। और न्याययिक अधिकारियों जैसे मजिस्ट्रेट , न्यायधीशों को भी इनके अनुसार न्याययिक प्रक्रिया को समझने में भी समय लग सकता है। अतः इनमे बहुत सी व्यवहारिक कठिनाइयां उत्पन्न हो सकती है।


2. न्यायिक प्रक्रिया पर अनावश्यक बोझ बढ़ सकता है :–

नए कानूनों को लागु करने से न्यायिक प्रक्रिया पर अनावश्यक बोझ बढ़ने की आशंका है। क्योंकि नए कानूनों में न्यायिक प्रक्रिया में अन्वेषण ( Investigation ) के बहुत से नए तरीकों को शामिल किया गया है , जिनके अनुसार पूर्णतया ट्रेनिंग न होने के कारण न्यायिक प्रक्रिया धीमी पड़ सकती और इस पर अनावश्यक बोझ बढ़ सकता है।


4. नागरिकों की गोपनीयता का उल्लंघन हो सकता है :–

नए कानूनों में नागरिकों की गोपनीयता के उल्लंघन होने का खतरा हो सकता है। क्योंकि इनमे अन्वेषण ( Investigation ) के दौरान पुलिस विभाग को कई ऐसे कार्य करने पड़ सकते है जो नागरिकों की गोपनीयता को कम कर सकते है। 

अतः यह महत्वपूर्ण है कि इन कानूनों के प्रभावों का विस्तृत अध्ययन किया जाए ताकि आवश्यक सुधार किए जा सकें।


निष्कर्ष :–

भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम , भारतीय न्यायिक प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे। इन कानूनों का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को सरल, त्वरित और न्यायपूर्ण बनाना है। इन कानूनों के प्रभावों का विस्तृत अध्ययन किया जाना चाहिए ताकि आवश्यक सुधार किए जा सके।

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