BNSS 2023 vs CRPC: Section 126, 135, 170 & 107, 116, 151

Shoab Saifi
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 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 की धारा 126 व दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 107 - सार्वजनिक शांति और सौहार्द्र बनाए रखने के लिए निवारक उपायों का प्रावधान ( Deals with Preventive measures to ensure Public Peace and Tranquility ) :-


सबसे पहले हम Cr.PC की धारा-107 की कारवाई समझ लेते है, की धारा-107 की कारवाई कब होती है ? Cr.PC की धारा-107 उन दशाओं में लगाई जाती है जब कार्यकारी मजिस्ट्रेट (SDM) को यह सूचना हो तथा पर्याप्त आधार हो, कि कोई व्यक्ति (मान लेते है A नाम का व्यक्ति) समाज में अशांति फला सकता है या शांति भंग कर सकता है या ये कही हंगामा कर सकता है तो ऐसी परिस्थिति में एसडीएम धारा-107 की कार्यवाही कर सकता है।

सरल भाषा में अगर कहे तो आपसे कहा जायेगा कि यहा आके वचन करो कि 6 महीने तक कोई उपद्रव नही मचाओगे। और अगर उस वचन को तोड़ दिया आपने तो आप जेल जा सकते हैं। यह धारा ज्यादातर चुनाव के समय में लगाई जाती है या कोई व्यक्ति आपके खिलाफ शिकायत देता है कि ये आदमी मारपीट कर सकता है या ये आदमी धमकी दे रहा है। सीआरपीसी की धारा-107 नई धाराओं में बदलकर धारा-126 BNSS 2023 हो गई है। अब बात करते है –

धारा 126, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (2023) के अंतर्गत सार्वजनिक शांति और सौहार्द्र बनाए रखने के लिए निवारक उपायों का प्रावधान है। यह धारा कार्यकारी मजिस्ट्रेट (SDM) को यह अधिकार देती है कि अगर उन्हें विश्वसनीय जानकारी प्राप्त होती है कि कोई व्यक्ति ऐसा कार्य कर सकता है जिससे सार्वजनिक शांति या सौहार्द्र भंग हो सकता है, तो वे उचित कदम उठा सकते हैं। इस धारा का उद्देश्य अपराध होने से पहले हस्तक्षेप करना है। धारा-126 में दो उपधाराएं दी गई हैं -


1. सूचना प्राप्त होने पर कार्रवाई (उप-धारा 1) Action on Receiving Information (Sub-section 1) :- 

   जब कार्यकारी मजिस्ट्रेट को सूचना मिलती है कि कोई व्यक्ति सार्वजनिक शांति या सौहार्द्र को भंग करने वाली गतिविधि में संलग्न हो सकता है, और मजिस्ट्रेट यह मानते हैं कि कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त आधार है, तो वे उस व्यक्ति से यह पूछ सकते हैं कि क्यों उसे एक बंधपत्र (जमानत के साथ या बिना जमानत के) देने का आदेश न दिया जाए। यह बंधपत्र इस बात का आश्वासन होगा कि वह व्यक्ति शांति बनाए रखेगा और यह अवधि मजिस्ट्रेट द्वारा तय की जाएगी, जो एक वर्ष से अधिक नहीं हो सकती। इस बंधपत्र का उद्देश्य संभावित अपराध या अशांति को रोकना है।


2. मजिस्ट्रेट का क्षेत्राधिकार (उप-धारा 2) Jurisdiction of Magistrate (Sub-section 2) :-

   इस धारा के अंतर्गत कोई भी कार्यवाही किसी भी कार्यकारी मजिस्ट्रेट (SDM) द्वारा शुरू की जा सकती है। मजिस्ट्रेट तब कार्रवाई कर सकते हैं जब संभावित शांति भंग या अशांति उनके स्थानीय क्षेत्राधिकार में हो, या वह व्यक्ति जो ऐसा कार्य करने वाला है, उनके क्षेत्राधिकार में रहता हो, भले ही वास्तविक शांति भंग किसी अन्य क्षेत्र में हो।


निष्कर्ष:– 

धारा 126, BNSS 2023 सार्वजनिक शांति को बनाए रखने के उद्देश्य से मजिस्ट्रेटों को निवारक अधिकार प्रदान करती है, ताकि किसी व्यक्ति द्वारा सामाजिक सौहार्द्र को भंग करने वाले कार्य करने से पहले, हस्तक्षेप किया जा सके।


भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 की धारा 135 व दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 116 - मजिस्ट्रेट द्वारा धारा 130 BNSS 2023 या Cr.PC की धारा 111 के अंतर्गत जारी किए गए आदेश के संदर्भ में किसी व्यक्ति के साथ की जाने वाली प्रक्रिया का विवरण ( The Procedure that must be followed by a Magistrate when Dealing with a Person in Connection with an Order Issued under Section 130 BNSS 2023 or Cr.PC Section 111) :-

इसके बाद हम Cr.PC की धारा-116 की कारवाई समझ लेते है, की धारा-116 में क्या प्रक्रिया होती है ? जब धारा 107, धारा 108, धारा 109 या धारा 110 के अधीन कार्य करने वाला मजिस्ट्रेट किसी व्यक्ति से ऐसी धारा के अधीन हेतुक दर्शित करने की अपेक्षा करना आवश्यक समझता है,और धारा-111 का कारण बताओ नोटिस Issue करता है, तो अगर आप कोर्ट में उपस्थित है तो आपको नोटिस पढ़कर सुनाया जाएगा की आपके खिलाफ क्या शिकायत की गई ? और नोटिस आने के बाद जब आप कोर्ट में जायेंगे तो आप भी तो कहेंगे कि साहब हमने तो यह जुर्म या कोई गलत काम किया ही नहीं है हम तो बेगुनाह है । यह गलत सूचना है हमारे खिलाफ , गलत शिकायत की गई है।  जब आप ये कहेंगे तो कोर्ट उसकी जांच करेगा कि यह सूचना सच है या झूठी है। यदि आप धारा-111 का नोटिस आने के बाद कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए तो आपके खिलाफ धारा-113 में समन या वारंट Issue किया जायेगा और पुलिस आपको पकड़ कर लाएगी। Cr.PC की धारा 116 उस शिकायत की सत्यता (Truth) की जांच करने के लिए है जो किसी व्यक्ति के खिलाफ की जाती है। और जो व्यक्ति शिकायत करता है उससे कहा जायेगा कि आप साक्ष्य (Evidence) दीजिए की यह व्यक्ति उपद्रव मचा सकता है या शांति भंग कर सकता है। दोनो पक्षों को अपना-अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाता हैं। अगर जांच के बाद वह व्यक्ति निर्दोष पाए जाते है जिसके खिलाफ शिकायत की गई है, तो Cr.PC की धारा 118 में उन्मोचित कर दिया जाता है। यह जांच प्रक्रिया 6 महीने में पूरा होना होता है और 6 महीने में आपका मामला रफा दफा हो जाता है। 

अब यदि आपको आदेश गया है तो आपसे बॉन्ड मांगा जाएगा कि आप अपनी जमानत दो कि 6 महीने तक कुछ नहीं करोगे मुचलके सहित या मुचलके रहित जैसा भी आदेश हो। आपको जमानत देनी पड़ेगी, कि हां साहब में 6 महीने तक कुछ भी नही करूंगा।

और अगर आपने यह जमानत बीच में तोड़ दी तो आप Cr. PC की धारा 122 के अधीन जेल भी जा सकते हो। सीआरपीसी की धारा-116 नई धाराओं में बदलकर धारा-135 BNSS 2023 हो गई है। अब बात करते है –

धारा 135, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के तहत मजिस्ट्रेट द्वारा धारा 130 के अंतर्गत जारी किए गए आदेश के संदर्भ में किसी व्यक्ति के साथ की जाने वाली प्रक्रिया का विवरण है। जब धारा 126, धारा 127, धारा 128 या धारा 129 के अधीन कार्य करने वाला कोई मजिस्ट्रेट किसी व्यक्ति से ऐसी धारा के अधीन हेतुक दर्शित करने की अपेक्षा करना आवश्यक समझता है, तब यह धारा सार्वजनिक शांति, सौहार्द्र या अन्य अपराधों के संभावित उल्लंघनों की जांच सुनिश्चित करती है और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए मजिस्ट्रेट को निवारक उपाय अपनाने की अनुमति देती है। इस धारा के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:


1. सूचना की जांच (उप-धारा 1) Inquiry into the Information (Sub-section 1) :- 

   जब कोई व्यक्ति धारा 130, या Cr.PC की धारा-111 के तहत जारी आदेश के अनुपालन में अदालत में उपस्थित होता है, तो मजिस्ट्रेट को उस सूचना की सत्यता की जांच करनी होती है जिसके आधार पर कार्रवाई की गई है। मजिस्ट्रेट आवश्यकता अनुसार आगे की साक्ष्य एकत्रित कर सकते हैं।


2. जांच की प्रक्रिया (उप-धारा 2) Procedure for Inquiry (Sub-section 2) :-

   यह जांच, जहां तक संभव हो, सम्मन मामलों में सुनवाई और साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया के अनुसार की जानी चाहिए। इससे निष्पक्षता सुनिश्चित होती है और कानूनी प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है।


3. जांच के दौरान निवारक उपाय (उप-धारा 3) Preventive Measures during Inquiry (Sub-section 3) :-  

   यदि मजिस्ट्रेट को लगता है कि शांति भंग, सार्वजनिक अशांति या अपराध को रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता है, तो वे उस व्यक्ति को एक बंधपत्र (जमानत के साथ या बिना जमानत के) देने का आदेश दे सकते हैं ताकि वह शांति बनाए रखे या उचित व्यवहार करे। यदि व्यक्ति बंधपत्र देने में विफल रहता है, तो उसे जांच पूरी होने तक हिरासत में रखा जा सकता है। इस उप-धारा में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जिन व्यक्तियों के खिलाफ धारा 127, 128, या 129 के तहत कार्यवाही नहीं हो रही है, उन्हें बंधपत्र देने के लिए नहीं कहा जा सकता है।


4. बंधपत्र की शर्तें (उप-धारा 3 - परन्तुक) Conditions of Bond (Sub-Section 3 - Proviso) :-

   बंधपत्र की शर्तें, चाहे वह राशि के संबंध में हों या जमानतदारों के संबंध में, धारा 130 के तहत जारी आदेश से अधिक कड़ी नहीं होनी चाहिए।


5. आदतन अपराधी और खतरनाक व्यक्ति (उप-धारा 4) Habitual Offenders and Dangerous Persons (Sub-section 4) :-

   यह साबित किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति आदतन अपराधी है या समाज के लिए खतरनाक है, चाहे वह सामान्य प्रतिष्ठा या किसी अन्य साक्ष्य के आधार पर हो।


6. कई व्यक्तियों का संलिप्त होना (उप-धारा 5) Multiple Persons Involved (Sub-section 5) :- 

   यदि जांच में कई व्यक्ति ( एक से अधिक व्यक्ति ) शामिल हैं, तो मजिस्ट्रेट सभी के लिए एक साथ या अलग-अलग जांच कर सकते हैं, जो न्यायसंगत और उचित हो।


7. जांच की समाप्ति (उप-धारा 6) Completion of Inquiry (Sub-section 6) :-

   जांच की समाप्ति छह महीने के भीतर हो जानी चाहिए। यदि यह समय सीमा पार हो जाती है, तो इस अध्याय के तहत कार्यवाही स्वतः समाप्त हो जाएगी, जब तक कि मजिस्ट्रेट विशेष कारण दर्ज नहीं करते। यदि कोई व्यक्ति जांच के दौरान हिरासत में है, तो छह महीने के बाद कार्यवाही समाप्त हो जानी चाहिए।


8. सेशंस जज द्वारा समीक्षा (उप-धारा 7) Review by Sessions Judge (Sub-section 7) :-

   यदि मजिस्ट्रेट छह महीने से अधिक जांच जारी रखने की अनुमति देते हैं, तो प्रभावित पक्ष सेशंस जज के समक्ष आवेदन कर सकते हैं। सेशंस जज उस आदेश को निरस्त कर सकते हैं यदि यह अनुचित या असंगत कारणों पर आधारित पाया जाता है।


निष्कर्ष:– 

धारा 135, BNSS 2023 शांति भंग की संभावनाओं की जांच के लिए विस्तृत प्रक्रिया निर्धारित करती है और मजिस्ट्रेट को निवारक उपाय करने की शक्तियां प्रदान करती है। साथ ही, इसमें अभियुक्तों के लिए सुरक्षा उपाय भी शामिल हैं, जैसे जांच के लिए समय सीमा और निर्णयों की समीक्षा का विकल्प।


भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस ) 2023 की धारा 170 व दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 151 - पुलिस अधिकारियों को संज्ञेय अपराध (ऐसे अपराध जिनमें बिना वारंट के गिरफ्तारी की जा सकती है) को रोकने के लिए निवारक कार्रवाई करने का अधिकार देती है ( Empowers Police Officers to take Preventive Action to Stop the Commission of a Cognizable Offense ) :-

यह बात सच है कि पुलिस बिना वारंट के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नही कर सकती , कुछ अपवादों को छोड़कर । परंतु कुछ परिस्थितियों में पुलिस बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती है । उदाहरण के लिए , दो गुटों में लड़ाई हो गई, तो पुलिस दोनो गुटो को उठाकर थाने में बंद कर देगी ताकि कोई बड़ा अपराध न कर दे या कोई गंभीर अपराध न कर दे, क्योंकि पुलिस का काम law and order को बना के रखना होता है ताकि समाज में शांति बनी रहे । ऐसे मामले में पुलिस आपको बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती है। सीआरपीसी की धारा 151 में पुलिस को पावर होती है कि संज्ञेय अपराधो को होने से रोकने के लिए पुलिस बिना वारंट भी गिरफ्तार कर सकती है। सीआरपीसी की धारा-151 नई धाराओं में बदलकर धारा-170 BNSS 2023 हो गई है। अब बात करते है –


धारा 170, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (2023) पुलिस अधिकारियों को संज्ञेय अपराध (ऐसे अपराध जिनमें बिना वारंट के गिरफ्तारी की जा सकती है) को रोकने के लिए निवारक कार्रवाई करने का अधिकार देती है। यह धारा उन परिस्थितियों को स्पष्ट करती है जिनके तहत पुलिस अधिकारी बिना न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश या वारंट के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं। इस धारा के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:


1. निवारक उपाय के लिए बिना वारंट गिरफ्तारी (उप-धारा 1) Arrest Without Warrant for Preventive Measures (Sub-section 1) :-  

   अगर किसी पुलिस अधिकारी को यह पता चलता है कि कोई व्यक्ति संज्ञेय अपराध करने की योजना बना रहा है, तो वह व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है। इस गिरफ्तारी का शर्त यह है कि अधिकारी को यह विश्वास हो कि अपराध को रोकने के अन्य कोई साधन नहीं हैं। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि पुलिस अधिकारी उन परिस्थितियों में तुरंत कार्रवाई कर सकें जहां अपराध का खतरा निकट है।


2. हिरासत की सीमा (उप-धारा 2) Limitation on Detention (Sub-section 2) :-

   उप-धारा 1 के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता, जब तक कि अन्य प्रावधानों या किसी अन्य कानून के तहत उसकी आगे की हिरासत की अनुमति न हो। यह सुनिश्चित करता है कि पुलिस अनावश्यक रूप से या बिना उचित कानूनी अधिकार के व्यक्ति को लंबे समय तक हिरासत में न रखें।


निष्कर्ष :–

 धारा 170, BNSS 2023 पुलिस अधिकारियों को संज्ञेय अपराधों को रोकने के लिए तुरंत और निवारक रूप से कार्रवाई करने का अधिकार देती है, साथ ही यह भी सुनिश्चित करती है कि गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति की हिरासत की अवधि पर कानूनी सीमाएं रहें।



Our Efforts :-

कानूनी दुनिया को समझें: BNSS 2023 और CRPC की धाराओं की जानकारी पाएं!


आज के जटिल कानूनी माहौल में, महत्वपूर्ण कानूनों और धाराओं की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है, चाहे आप कानून के छात्र हों, वकील हों, या सामान्य नागरिक। इस वीडियो में, हम भारत के दो प्रमुख कानूनी प्रावधानों की विस्तृत जानकारी देंगे: BNSS 2023 की धारा 126, 135, 170 और CRPC की धारा 107, 116, 151।


ये धाराएँ अक्सर कानूनी चर्चाओं में आती हैं, लेकिन सामान्य लोगों के लिए इन्हें समझना कठिन हो सकता है। चिंता न करें! इस विस्तृत Post में हम इन धाराओं को सरल और स्पष्ट तरीके से समझाएंगे ताकि आप इन्हें अपने जीवन में समझ और लागू कर सकें।


इस Post में आप क्या सीखेंगे?


1. BNSS 2023 की धारा 126, 135, और 170 की समझ:सबसे पहले हम BNSS 2023 (राष्ट्रीय सुरक्षा और सुरक्षा ब्यूरो) को समझेंगे और ये धाराएँ आपके लिए क्या मायने रखती हैं।

धारा 126: यह प्रावधान कुछ विशेष उच्च-जोखिम क्षेत्रों में सार्वजनिक सुरक्षा और अनुपालन से संबंधित है। हम इसके दायरे और इसके लागू होने की स्थिति की जानकारी देंगे।

धारा 135: यह धारा उन व्यक्तियों या संगठनों पर दंडात्मक कार्रवाई से संबंधित है जो राष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हैं। जानिए यह धारा कानून व्यवस्था बनाए रखने में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

धारा 170: यह प्रावधान विशेष परिस्थितियों में व्यक्तियों को पकड़ने के कानूनी ढांचे को बताता है। जानें कि यह धारा कब और कैसे लागू की जाती है।


2. CRPC की धारा 107, 116, और 151 की जानकारी:

इसके बाद हम ध्यान देंगे CRPC (दंड प्रक्रिया संहिता) पर, जो भारत में अपराध संबंधी कानूनों को लागू करने की प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है।

धारा 107: यह धारा कानून प्रवर्तन द्वारा शांति भंग होने या आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए की जाने वाली पूर्वक्रियात्मक कार्यवाही से संबंधित है। समझें कि पुलिस इस धारा का उपयोग कब करती है।

धारा 116: धारा 107 के तहत कार्यवाही शुरू होने के बाद, धारा 116 पूछताछ की प्रक्रिया को नियंत्रित करती है। जानिए कैसे अदालतें इस धारा के तहत एहतियाती उपाय करती हैं।

धारा 151: यह धारा बिना वारंट के गिरफ्तारी का अधिकार देती है ताकि संभावित अपराधों को रोका जा सके। जानें इस धारा का उपयोग कब और कैसे होता है और यह व्यक्तिगत अधिकारों को कैसे प्रभावित करती है।




कानून के छात्र: चाहे आप परीक्षा की तैयारी कर रहे हों या इन धाराओं को बेहतर ढंग से समझना चाहते हों, यह post आपको आसान तरीके से जानकारी प्रदान करेगा।

कानूनी पेशेवर: जानें इन धाराओं के बारीक पहलुओं को और कैसे ये व्यावहारिक रूप से वास्तविक जीवन के मामलों में लागू होती हैं।

सामान्य नागरिक: भले ही आप वकील नहीं हैं, यह जानना ज़रूरी है कि ये कानून आपको कैसे प्रभावित करते हैं या आपकी सुरक्षा के लिए कैसे कार्य करते हैं। अपने कानूनी अधिकारों और दायित्वों की जानकारी रखें।


ये धाराएँ क्यों महत्वपूर्ण हैं?


BNSS 2023 की धारा 126, 135, 170 और CRPC की धारा 107, 116, 151 कानून व्यवस्था और सुरक्षा तंत्र की नींव हैं। ये कानून सार्वजनिक सुरक्षा, एहतियाती कार्यवाही, और दंडात्मक प्रावधानों से सीधे संबंधित हैं। आज के समय में, जब कानूनी अधिकारों और कानून की भूमिका के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, इन धाराओं की जानकारी आपको कानून प्रवर्तन की कार्यप्रणाली को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी।


यह Post आपकी कैसे मदद करेगा?


- हम सरल और स्पष्ट व्याख्या के साथ हर धारा को समझाएंगे, जिससे जटिल कानूनी शब्दों को समझना आसान होगा।

- हम वास्तविक जीवन के उदाहरण साझा करेंगे, जिससे आप जान सकें कि इन धाराओं का अदालतों और पुलिस की प्रक्रियाओं में कैसे उपयोग होता है।

आप BNSS 2023 और CRPC के बीच तुलना करेंगे, जिससे आप समझ सकें कि ये कानून किस प्रकार विभिन्न परिस्थितियों में अलग-अलग भूमिकाएँ निभाते हैं।


सजग रहें:


इस जानकारी के साथ, आप अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं, कानून के अनुरूप रह सकते हैं और पेशेवर और व्यक्तिगत संदर्भों में सूचित निर्णय ले सकते हैं। चाहे आप कानून के छात्र हों, पेशेवर वकील हों, या कानून के बारे में जानने के इच्छुक हों, यह Post सभी के लिए उपयोगी होगा।


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